सरकारी स्कूलों को मिले स्मार्ट टीवी से होगा शिक्षा में गुणात्मक सुधार मगर साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी जरूरी
देवास/मोहन वर्मा । विकास यात्रा संग सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने की मंशा से देवास विधायक और जिलाधीश ऋषव गुप्ता के आग्रह और अनुरोध पर समाजसेवियों ने स्कूलों में टीवी की झड़ी लगा दी । मोटे तौर पर कहें तो जिले के स्कूलों में अब तक 1000 से अधिक टीवी दिए जा चुके है ।
निश्चित ही इन स्मार्ट टीवी के माध्यम से बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके इस अपेक्षा के साथ इस प्रोजेक्ट को देवास विधायक और जिलाधीश ऋषव गुप्ता द्वारा अमली जामा पहनाया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को आ रहे है कि संस्थाएं, पालकगण और समाजसेवी बड़ी संख्या में भागीदारी कर रहे है। 1700 से अधिक स्कूलों में से चयनित 750 के लगभग स्कूल इस प्रोजेक्ट से लाभान्वित होंगे ।
मगर यहां एक जरुरी सवाल ये है भी है कि लाखों रुपयों की कीमत के इन टीवी की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा ? सरकारी स्कूलों की दशा किसी से भी छुपी नहीं है। जर्जर भवनों(?) टूटे दरवाजों,बिजली विहीन स्कूलों में मूल सुविधाओं का ही अभाव है जो किसी से भी छुपा नही है । आज भी कई स्कूलों में शौचालय,पीने के पानी की भी समस्या है। बिजली नहीं है ओर बच्चों के सिर पर पंखे नही है । कितने ही स्कूलों में आठवी तक के बच्चे ज़मीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है क्योंकि बैठने को फर्नीचर नहीं है ।
जिले में अब तक यदि ये माना जाए कि समाजसेवियों ने विधायक और जिलाधीश की एक आवाज़ पर 1000 से अधिक टीवी सेट का अंबार लगा दिया तो समझा जा सकता है कि लाखों रुपये कीमत के ये टीवी बच्चों के लिए निश्चित ही लाभकारी तो साबित होंगे ही मगर जर्जर,दीवारों वाले बिना कुंडी के खिड़की दरवाजों के बीच इनकी सुरक्षा कौन करेगा ? बिना बिजली के ये कैसे चलेगें ?
अगर सरकार सरकारी स्कूलों की दशा सुधारना चाहती है तो स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट में इन स्कूलों को मूल सुविधाएं मिले ये प्रयास भी जरूरी है। बच्चों को पानी,स्कूल में बिजली,ठीकठाक भवन,शौचालय बैठने को फर्नीचर मूल जरूरतें है जिन्हें उपलब्ध करवाने के प्रयास प्राथमिकता से किये जाने चाहिए ।