अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर डीपीसी को दिया ज्ञापन 

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अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर डीपीसी को दिया ज्ञापन 
देवास /मोहन वर्मा । अशासकीय शिक्षण संस्था संचालक संघ के अध्यक्ष राजेश खत्री के नेतृत्व में विद्यालय की विभिन्न मांगों को लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र के नाम डीपीसी डॉ. राजेन्द्र सक्सेना को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा सत्र 2025-26 एवं आगे हेतु मान्यता नवीनीकरण हेतु पोर्टल खोला गया है। मान्यता नवीनीकरण के कई प्रावधान वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करती आ रही संस्थाओं के अस्तित्व पर खतरा बन रहा हैं एवं आर्थिक बोझ भी डाल रहे हैं। मान्यता हेतु 40,000 की एफडी अनिवार्य की गई है। कम फीस में एवं छोटी बस्तियों के गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले स्कूलों के लिए यह प्रावधान आर्थिक बोझ है। शासन द्वारा दो-दो वर्षों तक आर.टी.ई की फीस प्रतिपूर्ति रोकी जाती है जो कि लाखों में होती है। अप्रत्यक्ष रूप से स्कूलों की एफडी इस रूप में सतत शासन के पास होती है। अतः एफडी की अनिवार्यता को समाप्त करने का अनुरोध है। रजिस्टर्ड किरायानामा न सिर्फ सतत् आर्थिक बोझ है अपितु स्कूलों के अस्तित्व पर भी संकट है क्योंकि अविकसित, अर्ध विकसित कॉलोनी में या जहां डायवर्शन नहीं हुआ है वहां रजिस्टर्ड किरायानामा संभव नहीं है वर्तमान रजिस्ट्री कानून के तहत ऐसे में कई स्कूल बंद हो जाएंगे एवं हजारों टीचर बेरोजगार होंगे एवं बच्चों का भी बड़ा नुकसान होगा। रजिस्टर्ड किरायेनामे के स्थान पर 500-1000 रुपए के स्टांप पर इसे स्वीकृत किया जाए। राजस्व बढ़ाने की मंशा में बच्चों एवं शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ न हो जाए। जो विद्यालय 5 वर्ष से अधिक संचालित है उन्हें स्थाई मान्यता दी जाए। आरटीई में कक्षा नर्सरी में आरटीई से प्रवेश लेने वाला बच्चा 11 वर्ष तक बिना सत्यापन  के पढ़ सकता है किंतु स्कूलों को हर 3 वर्ष में बार-बार वही प्रक्रिया अपनानी पड़ती है एवं साल दर साल लगातार कागजों की वही फाइल जमा करना पड़ती है यह भेदभाव है। अतः पुरानी संस्थाओं को स्थाई मान्यता दी जाए। स्कूल वाहन की उम्र 12 वर्ष करना घोर अन्याय है। सड़क पर चलने वाले वाहनों की औसतन यात्रा से स्कूल वाहन 12 वर्ष में चौथाई भी नहीं चलते हैं। सड़क के वाहनों की उम्र 15 वर्ष एवं स्कूल वाहन की उम्र 12 वर्ष अनुचित है। इसका निराकरण आवश्यक है। मान्यता एप में भी भारी विसंगतियां है । संगीत शिक्षक, खेल शिक्षक, क्लर्क आदि की प्रविष्टि बिना व्यावसायिक योग्यता के नहीं होती है। पुस्तकों की संख्या 999 से अधिक दर्ज नहीं होती है। डाटा अपलोड होने के बाद भी कई बार डाटा पुनः पोर्टल में नहीं दिखाई देता है। स्कूल अपनी तरफ से कोई जानकारी,उपलब्धि आदि नहीं लिख सकता है। स्कूल कितने वर्षों से संचालित है इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं करवाया गया है।पूर्व प्राथमिक के लिये प्रशिक्षित शिक्षक का कोई विकल्प नहीं है। कहने को शिक्षा का अधिकार है किंतु सीट प्रविष्टि में अनावश्यक प्रावधान किया गया है कि जो सीट नर्सरी में डलेगी वही पहली में भी होगी। अर्थात स्कूल की अच्छी पढ़ाई से प्रभावित होकर यदि बच्चे आते हैं तो वह पोर्टल पर स्कूल चढ़ा ही नहीं सकता। सीट से कुछ बच्चे अधिक भी हो जाए तो अनुमति होना चाहिए। संगठन ने मांग की है कि शिक्षा हित में, विद्यार्थी हित में, पालक हित में, शिक्षक हित में एवं प्राइवेट स्कूलों के द्वारा दिए जा रहे योगदान को देखते हुए उपरोक्त बिंदुओं पर त्वरित निराकरण प्रदान किया जाए। ज्ञापन का वाचन उपाध्यक्ष सै. मकसूद अली ने किया। इस अवसर पर सुरेश चव्हाण, हाजी शकील शेख, स्वप्निल जैन, अजीज कुरेशी, शकील कादरी, सै. मेहशर अली, शैलेन्द्र जोशी, रवि श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, प्रकाश चव्हाण, प्रभाकर माचवे, कीर्ति चव्हाण, चेतन पचोरी, संदीप चौरसिया, सुरेश चौहान, सुशील मिश्रा, लखन मालवीय, स्वप्निल वर्मा, रियाज हसन, आजाद शेख, शीतल गोस्वामी, रितेश मिश्रा आदि संचालक उपस्थित रहे। 

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