इंदौर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए,एक जनवरी से भिक्षुक को भिक्षा देने पर संबंधित पर भी होगी एफआईआर दर्ज

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इंदौर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए,एक जनवरी से भिक्षुक को भिक्षा देने पर संबंधित पर भी होगी एफआईआर दर्ज
                   (मोहन वर्मा, देवास)

कहते है दया ही दुःख का कारण है। अपवादों को छोड़ दें तो जिन्हें गरीब लाचार समझकर लोग भीख दे रहे है वे लोगों की भावनाओं से खेल रहे है। कई बार भीख देने से इंकार करने पर मांगने वाला हमें गाली देकर जलील करने से भी नहीँ चूकता। भीख देने के बदले यदि मांगने वाले को हम चाय,खाना या कुछ खिलाने की बात करते हैं तो वो इन्कार करके सिर्फ और सिर्फ नगद राशि की ही मांग करता है। उन्हें काम देने की बात करने पर वे कन्नी काटकर चलते बनते हैं।

इंदौर में बीते दिनों भिखारियों के ख़िलाफ़ शुरू किए गए अभियान में पुलिस के हाथों एक ऐसा व्यक्ति पकड़ा गया जिसके पास 75 हजार नगद पाया गया। मुंबई में भीख माँगकर 70-80 हजार प्रतिमाह कमाने वाले के पास 1.5 करोड़ के फ्लैट के साथ बड़ी मात्रा में नगद राशि भी मिली है।

पूर्व में भी इंदौर में भिक्षावृत्ति के ख़िलाफ़ आदेश जारी किए जा चुके हैं अब पुन आदेश जारी हुआ है जिसमें 1 जनवरी से आदेश का पालन कड़ाई के साथ कराया जाएगा ।

देश के सभी हिस्सों के साथ खासकर धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं को भिखारियों द्वारा परेशान किए जाने के किस्से भी नये नहीँ हैं।अगर उज्जैन की बात करें तो मंदिरों से लेकर अन्य धार्मिक स्थल के अलावा स्थिति यह हो गई है कि लोग चाय, नाश्ता ज्यूस आदि प्वाइंट पर भी खड़े नहीं हो पा रहे वहां भी भिक्षावृत्ति वाले चैन से खाने पीने भी नहीं देते इस प्रकार से उज्जैन में और ज्यादा यह समस्या बढ़ती जा रही है।

जिस पर इंदौर में पाबंदी के बाद जैसा कि पहले भी संज्ञान में आ चुका है कि इंदौर से भिक्षुक पाबंदी बढने के बाद बस ट्रेन अन्य माध्यम से उज्जैन पहुंचकर भिक्षा मांग कर रात में ही इंदौर लौट जाते थे अब पुनः यही स्थिति बनेगी उज्जैन में इस समस्या की सख्ती से कदम उठाने की जरूरत क्योंकि बाहर से आ रहे पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इंदौर में इस प्रकार के आदेश निकलने के पीछे प्रशासन की मजबूरी यह है कि वहां पर चेकिंग के दौरान डेढ़ लाख रुपए महीने तक की इनकम भिक्षावृत्ति से निकली है वहीं इन लोगों के खुद के घर के मकान तक है फिर भी भीख मांग कर गुजारा करना आदत बन गई है ।

खबर है कि उज्जैन की  बात करें तो बड़े-बड़े धार्मिक स्थलों के आसपास भिक्षुकों की गेंग स्क्रीय है और इलाके तक बांधे हुए हैं कि यहां पर अगर भिक्षा मंगानी है तो इसका इतना प्रतिशत हमें देना पड़ेगा तभी यहां पर बैठ सकते हो या घूम कर भीख मांग सकते हो हद तो यह है कि इनमें से कई लोगों के ब्याज तक पर पैसे चल रहे हैं,, इस हिसाब से इनके सरगना की कमाई का अंदाजा  लगाया जा सकता है,,,,।

भिक्षा वृति रोकने के लिए जनता को भी जागरूक होना जरूरी हो गया है ज्यादातर भिक्षुक छोटे बच्चों को आगे कर रहे हैं जो ट्रैफिक सिग्नल से लेकर मंदिरों के आसपास चाय नाश्ता पॉइंट आदि पर पहुंच कर भीख मांगते हैं या महिला को पहुंचा रहे हैं खुद दूर से देख कर तमाशा देखते हैं
व्यावहारिक तौर पर जो कमाने में असहाय जैसे वृद्धा अवस्था बीमार आदि स्थिति में हो उसे भिक्षा दिया जाना पुण्य का काम होता है हट्टे कट्टे कमा के खाने जैसे लोग भिक्षा मांग रहे हैं और यह बीमारी कि तरह फैलती जा रही है ।

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