मानसून में हैरिटेज ट्रेन यात्रा–मालवा में हिमाचल दर्शन मोहन वर्मा,देवास
इन्दौर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा व्यावसायिक शहर तो है ही प्राकृतिक रूप से भी संपन्न है। इन्दौर के आसपास मांडव,चोरल,तिंछाफाल,रालामंडल,पातालपानी जैसे अद्भुत प्राकृतिक पर्यटन स्थल है जो मानसून के बाद आमजन को आकर्षित करते है। मालवावासियों को इन्हीं प्राकृतिक स्थलों से रूबरू करवाने की मंशा से पश्चिम रेल्वे ने सन 2018 के दिसंबर माह से एक हैरिटेज ट्रेन की शुरुवात की जिसे छोटी लाईन पर महू के पास स्थित पातलपानी से 16 किलोमीटर दूर कालाकुंड तक लाने ले जाने से पर्यटक इस क्षेत्र में बिखरे प्राकृतिक सौन्दर्य के नजारों का आनंद ले सकें। इस ट्रेन में 2 एसी और तीन नॉनएसी बोगियां हैं जिनका एक तरफ का सामान्य क्लास का किराया मात्र 20 रूपये और एसी का 265 रूपये हैं । सप्ताह के तीन दिन शुक्र,शनि और रविवार को चलने वाली यह ट्रेन (क्रमांक 52965) चुंकि मानसून में ही चलती है और सीटों की संख्या भी कम है इसलिए टिकट ऑनलाइन बुक किए जा सकते है।
2018 से शुरू इस हैरिटेज ट्रेन का 2024 तक का खुद का सफ़र भी उतार चढाव वाला रहा है।इन छह सालों में कभी तकनीकि कारणों से तो कभी पर्यटकों की कम संख्या के कारण ट्रेन बंद चालू होती रही। पिछले साल अगस्त में शुरू ट्रेन फिर जनवरी 24 में बंद हो गई जिसे एक बार फिर 20 जुलाई 24 को शुरू किया गया क्योंकि रेलवे की मंशा मालवा के उन लोगों को इस क्षेत्र से रूबरू करवाना था जो मालवा में ही उत्तराखंड या हिमाचल की वादियों से रूबरू हो सकें । स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश इंदोर के जुनूनी अध्यक्ष प्रवीणजी खारीवाल ने अपने पत्रकार साथियों और उनके परिवारों को हैरिटेज ट्रेन का आनन्द लेने के उद्देश्य से एक अनुपम कार्यक्रम रचा और बीते शनिवार सौ से अधिक परिवारजनों के साथ हमने भी इस यात्रा का लुत्फ़ उठाया ।
इन्दौर से 24 दूर महू और महू से मात्र छह किलोमीटर दूर पातलपानी के आधा किलोमीटर पहले बने डॉ आंबेडकर स्टेशन से सुबह 11.05 यह ट्रेन चलती है। मात्र दस मिनिट में 11.15 पर पातलपानी स्टेशन पहुंचती है जहाँ क्षेत्र के जुझारू आदिवासी क्रांतिकारी टन्टिया भील की समाधि है जिन्होनें 1842 से 1889 के बीच अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे और अन्ततः उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। पातलपानी प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज एक सुन्दर पर्यटक स्थल है जहाँ खुबसूरत वाटरफाल के साथ विन्ध्याचल पर्वत श्रखला और हरियाली से आच्छादित घने वृक्ष मन को मोहते हैं ।
डॉ अम्बेडर स्टेशन से पातलपानी और कालाकुंड तक का कुल सफ़र मात्र 16 किलोमीटर का है मगर आसपास के मनोहारी दृश्यों और बीच में आने वाली तीन चार टनलों का आनंद लेते पातलपानी से कालाकुंड तकरीबन दो घंटों में पहुंचते हैं जहाँ पर्यटक आसपास बहती चोरल नदी में स्नान का आनंद भी ले सकते हैं । हरियाली से आच्छादित दूर पहाड़ों और वाटरफाल की नजदीकी सेल्फी और फोटोग्राफी के दीवानों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। जैसे फतेहाबाद अपने गुलाबजामुन के लिए प्रसिद्द है वैसे ही कालाकुंड अपने स्वादिष्ट कलाकंद के लिए जाना जाता है जिसका अलग ही स्वाद है। और फिर मालवा के स्वाद प्रेमियों को और क्या चाहिए ?
वापसी में यह ट्रेन (क्रमांक 52966) दोपहर में 3.30 पर कालाकुंड से पातलपानी होते हुए तकरीबन 4.30 पर डॉ अम्बेडकर स्टेशन पहुँचती है मगर इन चार पांच घंटों के सफ़र में पर्यटक कुछ की रुपयों में प्रकृति के उन नजारों का आनंद ले सकते है जिन्हें देखने वो हजारों रूपये खर्च करके उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश नहीं जा सकते। हो सकता है आने वाले दिनों में महू खंडवा बड़ी लाईन बन जाने के बाद यह हैरिटेज ट्रेन बंद हो जाये इसलिए पर्यटक प्रेमियों को एक बार इस यात्रा का आनंद मानसून में जरुर लेना चाहिए ।