राजनैतिक दबाव में बदहाल होता देवास
मोहन वर्मा
देवास/मोहन वर्मा । जब आये दिन समाचार पत्रों में राजनेताओं के बयान पढ़ने को मिलते है कि एम जी रोड पर दोपहिया वाहन प्रतिबंधित किये जा रहे है, कि जल्दी ही एम जी रोड का चोड़ीकरण शुरू होगा या कि अतिक्रमण विरोधी मुहिम की शुरुवात होगी या कि अब कचरा गाडियां नियमित कालोनियों में जायेगी या जल्द ही स्वच्छता की मुहिम चलेगी वगैरह वगैरह तो मन खुश हो जाता है कि चलो देर आयद दुरस्त आयद। मगर समय बीतने के साथ ये खबरें खबरें ही बन कर रह जाती है। इसका कारण है इच्छा शक्ति का अभाव और राजनैतिक दबाव जिससे शहर खबरों और बयानों में तो खूब खूब विकास कर रहा है मगर हकीकत में शहर बदहाली की राह पर है।
बात बरसात में शहर में जगह जगह पानी भरने से ही शुरू करें तो हर साल की तरह एकाध जमकर झड़ी लगने पर शहर कैसा बदहाल हो जाता है किसी से छुपा नहीं है। एमजी रोड पर थाने के सामने, ज्वेलर्स मार्केट,महाराष्ट्र समाज से लेकर ए बी रोड तक ऐसे कितने ही इलाके है जहां बारिश में सड़कें स्विमिंग पूल बन जाती है । साल दर साल यही हाल।
बारिश से पहले सड़कों के गड्डे भरने में किसी की कोई रुचि नहीं, फिर एक्सीडेंट होते रहें,लोग गिरते रहे बला से ।
बात स्वच्छता की करें तो शहर कचरे का ढेर बनता जा रहा है। लोग सोशल मीडिया पर, अखबार अपनी सुर्खियों में बार बार इस मसले को उठाते है मगर जिम्मेदारों के बयान कि हम देख रहे है,हम देखेंगे से आगे कोई बदलाव नजर नहीं आता। अतिक्रमण की हालत ये है कि जिसे जहां जो जगह माकूल नजर आती है कब्जा किए बैठा है। जिम्मेदारों को छोड़कर सबको नजर आता है। और नजर आए भी कैसे राजनैतिक दबाव के आगे किसका जोर ।
अब बात शहर के मुख्य मार्गों के चोड़ीकरण की। एम जी रोड पर, पीठा रोड पर,शामलात रोड पर शुक्रवारिया, नावेल्टी चौराहे पर अगर एक चौपहिया वाहन फस जाए तो लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। तीज त्यौहारों पर क्या हालत होती है सबको पता है। चोपहिया वाहन प्रतिबंध पर कई बार बयान पढ़ने में आए मगर राजनैतिक दबाव के आगे किसका जोर।
ए बी रोड पर मैजिक वालों का जादू हो या प्रायवेट बस वालों की मनमानी,सवारियों से अभद्रता सब कुछ निरंकुश है। बेचारे ट्रैफिक जवान आए दिन इनसे पंगा लेते है मगर ढाक के तीन पात। बढ़ते गैंगवार और शहर में खुलेआम नशाखोरी देखनी हो तो कैलादेवी चौराहे पर चले जाइए। सबकुछ खुलेआम। रहवासी और आती जाती महिलाएं परेशान मगर जिम्मेदार राजनैतिक दबाव के आगे मजबूर ।
सिर्फ तीस किलोमीटर दूर इंदौर की बात करें तो शहर चौड़ीकरण की बात हो या स्वच्छता की, मेट्रो की बात हो,या ओवरब्रिज की, हर मामले में अलग अलग दलों के बड़े बड़े राजनेताओं के होने के बावजूद शहर विकास पर सब एकजुट दिखाई देते है। हर मामले में शहर के विकास को लेकर आम नागरिक की बात को भी प्राथमिकता दी जाती है और आम नागरिक भी सहयोग करता है फिर देवास क्यों बदहाली की राह जा रहा है। पता नहीं शहरवासी राजनैतिक दबावों का खमियाजा कब तक भुगतते रहेंगे ।