प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम में रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाकर बरसात के पानी का संचय करें – कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता

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प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम में रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाकर बरसात के पानी का संचय करें – कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता

अमृत संचय अभियान के संबंध में कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता की अध्‍यक्षता में देवास जिले के सभी प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालकों की बैठक आयोजित

देवास/मोहन वर्मा ।  अमृत संचय अभियान के संबंध में कलेक्‍टर श्री ऋषव गुप्‍ता की अध्‍यक्षता में देवास जिले के सभी प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालकों की बैठक कलेक्‍टर कार्यालय सभाकक्ष में आयोजित हुई। बैठक में संयुक्‍त कलेक्‍टर श्रीमती प्रियंका मिमरोट, सीएमएचओ डॉ. शिवेन्‍द्र मिश्रा, अमृत संचय अभियान के श्री गंगा सिंह सोलंकी, श्री मोहन वर्मा, श्री श्रीकांत उपाध्‍याय सहित सभी प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालक उपस्थित थे।

बैठक में कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा सभी प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालक रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाये, रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्‍टम से पानी का संचय करें। जिला प्रशासन द्वारा बरसात के जल को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालक भी आगे आये और बरसात के जल को सहेजने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाये। यदि बरसात का पानी रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम से जमीन में उतारेंगे तो निश्चित भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। ट्यूबवेल के पानी की हार्डनेस भी कम हो जायेगी, क्योंकि बरसात का पानी सॉफ्ट है। यही बारिश का पानी बहकर सड़कों तक नहीं पहुंचेगा तो शहर में बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या नहीं होगी।

कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि बरसात से पहले छतों को अच्‍छे से साफ कर लें। जिन घरों में बोरिंग नहीं है, वहां घर में गढ्ढा खोदकर पानी की टंकी बनाकर संग्रह कर सकते है। कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि प्राईवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम संचालक अपने आस-पास के क्षेत्रों में पौधारोपण भी करें।

बैठक में बताया गया कि शहर में वर्षाजल को बचाने के लिए जागरूकता अभियान, तकनीकि मार्गदर्शन, जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन, मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन, दस्तावाजिकरण कार्य किया जायेगा। पानी का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पैंतीस-चालीस साल पहले ट्यूबवेल में पानी 100-125 फुट पर मिल जाता था, वही आज 600-700 फुट की गहरायी पर भी पानी नहीं मिल रहा है।

भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जाने से नदियाँ भी सूख रही हैं। अगर यही हालात रहे तो आने वाले 10-15 सालों में ही पानी के लिये हाहाकार हो इसमें कोई संदेह नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी कहती है आज देश के करीब 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास पर्याप्त पानी नहीं है। उन्हें जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। 2030 में पानी कम होगा और पानी की मांग दुगनी हो जायेगी तब हालत और भयावह होगी। नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट में देश के 21 नगरों में भू-जल के शून्य पर पहुँच जाने के बारे में कहा गया था। हाल ही में बेंगलुरु में पानी के संकट से हम सब वाकिफ हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे शहर में भी यह हालात बनें तो हमें आज ही बरसात के व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को बचाने के लिये कुछ करना होगा।

 

 

 

 

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