शंकरगढ़ हिल्स पर अब कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी नगर वन क्षेत्र में/पर्यावरण प्रेमियों की जीत 

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शंकरगढ़ हिल्स पर अब कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी नगर वन क्षेत्र में/पर्यावरण प्रेमियों की जीत 

देवास। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (केंद्रीय जोन पीठ, भोपाल) ने अपने निर्णय दिनांक 31 अक्तूबर 2025 में मध्य प्रदेश शासन को निर्देशित किया है कि देवास स्थित शंकरगढ़ नगर वन क्षेत्र, जहाँ पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया है, वहाँ किसी भी प्रकार की पर्यटन, मनोरंजन या व्यावसायिक गतिविधि नहीं की जाएगी। यह आदेश शंकरगढ़ हिल्स के भविष्य को लेकर एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

आदेश के प्रमुख बिंदु
एनजीटी ने शासन को निर्देश दिया है कि शंकरगढ़ पहाड़ी के नगर वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार की पर्यटन या व्यावसायिक गतिविधि न की जाए, ताकि वहाँ की पारिस्थितिकी और हरियाली संरक्षित रह सके। अधिकरण ने स्पष्ट कहा है कि वहाँ की जैव विविधता कृ अर्थात् पौधों, वृक्षों और जीव-जंतुओं का संरक्षण किया जाए।एनजीटी ने यह भी उल्लेख किया है कि वृक्षारोपण एवं वानिकी गतिविधियों में स्थानीय जनता की सहभागिता सुनिश्चित की जाए, ताकि यह प्रयास दीर्घकालिक बने। राजस्व भूमि को केवल वृक्षारोपण और जैव विविधता संरक्षण जैसे कार्यों में ही उपयोग किया जाए।

माननीय न्यायाधीश ने आदेश में यह भी निर्देशित किया कि शंकरगढ़ हिल्स का इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन (मिट्टी व नमी संरक्षण सहित पारिस्थितिक पुनर्स्थापन) किया जाए।
मामला और पृष्ठभूमि वर्ष 2022 में कलेक्टर देवास द्वारा शंकरगढ़ हिल्स की लगभग 50.292 हेक्टेयर भूमि (खसरा नंबर 404, 449 और 450ध्2) पर्यटन विभाग को हस्तांतरित की गई थी। इसके बाद यह चर्चा फैल गई कि इस क्षेत्र में मनोरंजन पार्क, फिल्म सिटी और अन्य व्यावसायिक परियोजनाएँ विकसित की जा रही हैं। यह निर्णय एनजीटी के पूर्व आदेश के विपरीत था, जिसमें शंकरगढ़ क्षेत्र को वन संरक्षण और पुनर्स्थापन हेतु आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए थे। यह वही पहाड़ी थी जहाँ खनन गतिविधियाँ वर्षों पहले एनजीटी के आदेश से रोकी गई थीं, और इसके बाद स्थानीय समुदाय, वन विभाग तथा ग्रीन आर्मी टीम ने मिलकर यहाँ हरियाली बहाल करने का अभियान चलाया था। लोगों ने अपने श्रमदान से इसे एक सजीव नगर वन में बदल दिया। परंतु जब वर्ष 2022 में यह भूमि पर्यटन विभाग को दे दी गई, तो उन सभी नागरिकों में भारी आक्रोश उत्पन्न हुआ जिन्होंने वर्षों तक इसे पुनर्जीवित करने में योगदान दिया था।

इसी जनभावना के प्रतिनिधि के रूप में पर्यावरण कार्यकर्ता समरजीत जाधव ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (छळज्) में याचिका दायर की और मांग की कि यह भूमि पर्यटन विभाग से वापस लेकर वन विभाग को सौंपी जाए, तथा राज्य शासन को शंकरगढ़ हिल्स के पुनर्स्थापन और संरक्षण के लिए निर्देशित किया जाए।
एनजीटी का फैसला और शासन की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने यह स्वीकार किया कि वह अब पर्यटन परियोजना को रद्द कर रहा है, और कलेक्टर देवास ने पर्यटन विभाग को भूमि वापस राजस्व विभाग में पुनः हस्तांतरित करने का प्रस्ताव भेजा है। पीठ ने इस पर आदेश देते हुए कहा कि कृ शासन उक्त भूमि पर वन की स्थिति बनाए रखेगा, और शंकरगढ़ नगर वन में किसी भी गैर-वन गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। वन विभाग वहाँ की जैव विविधता (पौधे और जीव-जंतु) का संरक्षण करेगा तथा स्थानीय जनता की भागीदारी से वृक्षारोपण और संरक्षण कार्य करेगा।
देवास की जनता और वकीलों की भूमिका
इस वाद की पैरवी अधिवक्ता डॉ. सुदेश वाघमारे और अधिवक्ता ओम शंकर श्रीवास्तव ने की, जिन्होंने शंकरगढ़ हिल्स के पर्यावरणीय और सामाजिक महत्व को न्यायाधिकरण के समक्ष प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया।
एक नई शुरुआत
यह फैसला देवास के नागरिकों और ग्रीन आर्मी टीम के लंबे संघर्ष का परिणाम है।एनजीटी का यह आदेश न केवल शंकरगढ़ हिल्स की हरियाली और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करेगा, बल्कि यह एक राष्ट्रीय उदाहरण बनेगा कि कैसे जनता, प्रशासन और न्यायपालिका मिलकर एक खनन-प्रभावित पहाड़ी को पुनः जीवित प्राकृतिक धरोहर में बदल सकते हैं।

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