वाटर हार्वेस्टिंग में बढ़ी जनता की रुचि/ सभी अशासकीय स्कूलों की छतों पर लगेंगे रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम । जिलाधीश की उपस्थिति में अभिभाषकों ने भी जताई रुचि ।
देवास/मोहन वर्मा । कलेक्टोरेट में जल संचय अभियान के तहत अशासकीय स्कूलों के संचालकगणों की बैठक हुई।
बैठक को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने सभी अशासकीय स्कूलों की छत पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि पानी बचाने का काम इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
कलेक्टोरेट में जल संचय अभियान के तहत शहर के 120 स्कूलों की छत से बहने वाले पानी को थामने के लिए सभी स्कूलों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करने पर अशासकीय स्कूल संगठन के अध्यक्ष राजेश खत्री ने आगे बढ़कर इस आशय की घोषणा की।
आनंद विभाग की डॉ समीरा नईम ने शुरुआत करते हुए कहा कि हम अगली पीढ़ी के लिए संपत्ति के साथ-साथ पानी बचाने की भी पहल करें ताकि आने वाली पीढ़ी को जल संकट का सामना न करना पड़े।
जल वैज्ञानिक सुनील चतुर्वेदी जी ने जल संचय की पूरी तकनीक को बड़े सहज ढंग से सामने रखा। बैठक में अमृत संचय टीम के गंगा सिंह सोलंकी,श्रीकांत उपाध्याय, अरविंद त्रिवेदी तथा कृपाली राणा सहित कई प्रतिष्ठितजन भी उपस्थित थे।
इसी तरह जिला अभिभाषक संघ के बीच अमृत संचय अभियान को लेकर पहुंचे जिलाधीश श्री ऋषव गुप्ता ने कहा कि सभी रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये और पानी का संचय करें । म.प्र. शासन एवं जिला प्रशासन देवास के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मधुसूदन मिश्र विशेष अतिथि रूप में उपस्थित रहे। सर्वप्रथम कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत संघ अध्यक्ष अशोक वर्मा, उपाध्यक्ष पंकज पड्या, उपाध्यक्ष (महिला) गीता शर्मा, सचिव अतुल कुमार पंड्या, सहसचिव जितेन्द्र सिंह ठाकुर, कोषाध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह तोमर, पुस्तकालय सचिव श्वेतांक राज शुक्ला सहित अधिवक्ताओं ने किया।
प्रारम्भ में अभियान से जुड़े श्रीकांत उपाध्याय ने देवास के जल संकट को विस्तार से बताया उन्होंने कहा कि आज हम अपनी अगली पीढ़ी को पानी बचा कर उनके भविष्य को सुखद बना सकते हैं उन्होंने बताया कि, आज से 25 वर्ष पूर्व देवास के जल संकट की जो स्थिति थी आने वाले कल में अगर हमने इस ओर ध्यान नही दिया तो फिर से हमारी अगली पीढ़ी को जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि हम पानी बचाने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये, रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से पानी का संचय करें। जिला प्रशासन द्वारा बरसात के जल को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। जिला अभिभाषक संघ इस अभियान में आगे आए और बरसात के जल को सहेजने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये। यदि बरसात का पानी रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम से जमीन में उतारेंगे तो निश्चित भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। ट्यूबवेल के पानी की हार्डनेस भी कम हो जायेगी, क्योंकि बरसात का पानी सॉफ्ट है। यही बारिश का पानी बहकर सडक़ों तक नहीं पहुंचेगा तो शहर में बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या नहीं होगी। पर्यावरणविद डॉ. चतुर्वेदी ने छतों से व्यर्थ बहकर जाने तथा जल भराव की समस्या पैदा करने वाले जल को सहेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम देवास शहर में कई करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। पानी का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पैंतीस-चालीस साल पहले ट्यूबवेल में पानी 100-125 फुट पर मिल जाता था, वही आज 600-700 फुट की गहरायी पर भी पानी नहीं मिल रहा है। भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जाने से नदियाँ भी सूख रही हैं। संघ अध्यक्ष श्री वर्मा ने मप्र शासन एवं जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अमृत संचय अभियान में अपना भरपूर योगदान देने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि अगर यही हालात रहे तो आने वाले 10-15 सालों में ही पानी के लिये हाहाकार हो इसमें कोई संदेह नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी कहती है आज देश के करीब 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास पर्याप्त पानी नहीं है। उन्हें जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। 2030 में पानी कम होगा और पानी की मांग दुगनी हो जायेगी तब हालत और भयावह होगी। हम नहीं चाहते कि हमारे शहर में भी यह हालात बनें तो हमें आज ही बरसात के व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को बचाने के लिये कुछ करना होगा। संचालन अधिवक्ता हेमंत शर्मा ने किया एवं आभार संघ उपाध्यक्ष पंकज पंड्या ने माना। इस दौरान बडी संख्या वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित थे।
इसी तरह शहर के सम्मानित डॉ कुलदीप श्रीवास्तव के निवास पर अभियान के दौरान लगाए गए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का अवलोकन एडीएम फुलपगारे जी के साथ कई डाक्टर एवम प्रबुद्ध नागरिकों ने किया और अपने अपने निवास पर इसे लगाने का संकल्प लिया ।