अमृत संचय अभियान ने पकड़ी गति/ औद्योगिक इकाइयों में रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बरसात के पानी का संचय करें – कलेक्टर श्री गुप्ता
देवास/मोहन वर्मा । अमृत संचय अभियान के संबंध में कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता की अध्यक्षता में औद्योगिक संगठन देवास की बैठक औद्योगिक संगठन के सभाकक्ष में आयोजित हुई। बैठक में महा प्रबंधक जिला व्यापार उद्योग केन्द्र श्री मंगल रैकवार, औद्योगिक संगठन देवास के अध्यक्ष श्री अशोक खण्डेलिया सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा देवास शहर के सभी औद्योगिक इकाइयों में में रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये, रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से पानी का संचय करें। जिला प्रशासन द्वारा बरसात के जल को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। औद्योगिक संगठन भी आगे आये और बरसात के जल को सहेजने के लिए रूफ रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये। यदि बरसात का पानी रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम से जमीन में उतारेंगे तो निश्चित भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। ट्यूबवेल के पानी की हार्डनेस भी कम हो जायेगी, क्योंकि बरसात का पानी सॉफ्ट है। यही बारिश का पानी बहकर सड़कों तक नहीं पहुंचेगा तो शहर में बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या नहीं होगी।
वरिष्ठ भूजलविद तथा देवास रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक को लोकप्रिय बनाने वाले जल वैज्ञानिक डॉ सुनील चतुर्वेदी ने सविस्तार छतों से व्यर्थ बहकर जाने तथा जल भराव की समस्या पैदा करने वाले जल को सहेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम देवास शहर में कई करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं।
बैठक में बताया गया कि शहर में वर्षाजल को बचाने के लिए जागरूकता अभियान, तकनीकि मार्गदर्शन, जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन, मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन, दस्तावाजिकरण कार्य किया जायेगा। पानी का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पैंतीस-चालीस साल पहले ट्यूबवेल में पानी 100-125 फुट पर मिल जाता था, वही आज 600-700 फुट की गहरायी पर भी पानी नहीं मिल रहा है।
भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जाने से नदियाँ भी सूख रही हैं। अगर यही हालात रहे तो आने वाले 10-15 सालों में ही पानी के लिये हाहाकार हो इसमें कोई संदेह नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी कहती है आज देश के करीब 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास पर्याप्त पानी नहीं है। उन्हें जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। 2030 में पानी कम होगा और पानी की मांग दुगनी हो जायेगी तब हालत और भयावह होगी। नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट में देश के 21 नगरों में भू-जल के शून्य पर पहुँच जाने के बारे में कहा गया था। हाल ही में बेंगलुरु में पानी के संकट से हम सब वाकिफ हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे शहर में भी यह हालात बनें तो हमें आज ही बरसात के व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को बचाने के लिये कुछ करना होगा।