भाषा को बचाते हुए कला के संस्कार अगली पीढ़ी को सौंपना आज की चुनौती-पुस्तक विमोचन में कहा अतिथियों ने

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भाषा को बचाते हुए कला के संस्कार अगली पीढ़ी को सौंपना आज की चुनौती-पुस्तक विमोचन में कहा अतिथियों ने ।

                                 

देवास/मोहन वर्मा  । वर्तमान समय में अपनी भाषा को बचाने के साथ कला की विविध धाराओं के संस्कार अगली पीढ़ी को सौंपना भी एक बड़ी चुनौती है। आज का युवा न केवल पठन पाठन और साहित्य संस्कृति के उजास से दूर होता जा रहा है बल्कि मूल भाषा की मिठास भी उसके संस्कारों से गायब होती नजर आ रही है । ये बात पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अतिथि वक्ताओं ने कही।

अवसर था,शहर के रचनाकार मोहन वर्मा की दो नई पुस्तकों के विमोचन का,जिसमें अतिथि रूम में वरिष्ठ लेखक व पत्रकार अजय बोकिल भोपाल, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रकाश कांत एवम श्रीमती गुलाब वर्मा उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत अशोक बुनकर,प्रवीण शर्मा,अमेय कांत तथा किशोर असनानी ने किया । पश्चात अतिथि वक्ताओं ने मोहन वर्मा की दो नई पुस्तकों,यात्रा संस्मरण पुस्तक “कनाडासफरनामा” तथा व्यंग्य संग्रह “फटे में टांग” का विमोचन किया ।

कनाडा सफरनामा पर बोलते हुए डॉ प्रकाश कांत ने कहा कि ये पुस्तक कनाडा के बारे में कोई भोगौलिक या ऐतिहासिक जानकारी नहीं देती वरन एक यायावर की दृष्टि से घूमते, उस देश को देखते समझते एक पर्यटक की डायरी की तरह हमारे सामने इस तरह आती है मानों हम भी लेखक के साथ साथ कनाडा के सफर में हों । “फटे में टांग” व्यंग्य संग्रह को पढ़ते हुए ये लगता है कि लेखक ने हर उस आम आदमी के अनुभवों को अपने व्यंग्यों में उकेरा है जिसका पांव चाहे अनचाहे बार बार फटे में उलझता है । संग्रह के व्यंग्यों में विविध विषयों पर तंज होने के साथ साथ मालवी मिठास भी नजर आती है।
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार अजय बोकिल भोपाल ने कहा कि आज बडी संख्या में व्यंग्य लिखे भी जा रहे हैं और छप भी रहे हैं मगर उनमें व्यंग्य नजर नहीं आता। मोहन वर्मा के व्यंग्य पढ़ते हुए भाषा की सरलता के साथ व्यवस्था और विसंगतियों पर कटाक्ष साफ नजर आता है। इसी तरह कनाडा सफरनामा में उनकी यात्रा वर्णन की शैली प्रभावित करती है।
“फटे में टांग” पर ओम  वर्मा तथा हरि जोशी ने तथा कनाडा सफरनामा पर विजय श्रीवास्तव ने पाठकीय टिप्पणियों का पाठ किया । इस अवसर पर शहर के एक ओर लेखक कुंदन पाटिल की पुस्तक पंचामृत का भी अतिथियों ने विमोचन किया
कार्यक्रम का संचालन श्रीकांत उपाध्याय ने किया।
कार्यक्रम में रंजीतसिंह राठौड़,रतलाम, पाराशर जी, श्रवण कुमार कानूनगो,प्रदीप उपाध्याय,योगेंद्रसिंह चावड़ा,अजय चौधरी,संदीप भटनागर,किशोर वर्मा, श्रीकांत नायक, के वी राव,अतुल बागलीकर,अतुल शर्मा,प्रदीप शर्मा, निर्मला सिंह, संजीवनी कांत, विजय परसाई, महेंद्र उपाध्याय,आनंद श्रीवास्तव,खुमानसिंह बेस, यशवंत तिवारी,अशोक सोमानी, संजय जोशी,ओम शर्मा, नीलू सक्सेना, कैलाश सिंह राजपूत, संगीता राठौर, रामेश्वर पटेल,मुकेश मोदी,पुष्पा बापट सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे ।

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