सदाबहार पुराने गीतों पर झूमते रहे श्रोता

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सदाबहार पुराने गीतों पर झूमते रहे श्रोता

देवास/मोहन वर्मा l  हिन्दी फ़िल्मों के पुराने गीतों की कशिश और माधुर्य आज दशकों बाद भीश्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर देता है l

सदाबहार पुराने गीतोंकी एक ऐसी ही महफिल देवास में शनिवार रात सजाई थी अहमदाबाद के एक 80 वर्षीय संगीत प्रेमी शशांक भट्ट ने  अपनी टीम के बेहतरीन गायक गायिकाओं की मखमली आवाज मे पिरोये नगमो के साथ ख़ुद शशांक भट्ट की गायकी ने सिद्ध कर दिया कि उम्र सिर्फ एक अंक है अगर व्यक्ति अपने शौक को जिंदा रखे तो लंबे समय तक जिंदादिली से लोगों को खुशी बांट सकता है l

 

 

कार्यक्रम में शशांक भट्ट ने 50-60 के दशक के ख्यात गायक के एल सहगल,पंकज मलिक,कवि प्रदीप,मुकेश के बेह्तरीन गीत सुनाये वहीं उनकी टीम की अल्पना आर्य,मंजू रावत,रजनी धूरिया ने भी अपने समय की बेहतरीन गायिका सुरैया,शमशाद बेगम से लेकर लता,आशा के गीतों को अपनी सुरीली आवाज मे पेश किया l

इंदौर के सतीश केशवानी,विजय पाठक के साथ स्थानीय कलाकारों निशा खान,पूर्णिमा तथा मुश्ताक शाह के गीतों को भी श्रोताओं ने खूब पसंद किया l

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