प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट में फ़िल्म अभिनेता श्री चेतन पंडित द्वारा भारतीय सिनेमा एवं थियेटर पर कार्यशाला का आयोजन

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प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट में फ़िल्म अभिनेता श्री चेतन पंडित द्वारा भारतीय सिनेमा एवं थियेटर पर कार्यशाला का आयोजन

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देवास/ मोहन वर्मा । प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, देवास द्वारा प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म एवं रंगमंच कलाकार श्री चेतन पंडित के आतिथ्य में भारतीय सिनेमा एवं  थियेटर विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कला जगत से वरिष्ठ कलाकार एवं निर्देशक श्री सुशील जौहरी, रंगकर्मी श्री राकेश साहू, श्री शेखर पाठक, पत्रकारिता क्षेत्र से वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहन वर्मा तथा चित्रकला क्षेत्र से श्री जयप्रकाश चौहान उपस्थित रहे। संस्थान के विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों एवं स्टाफ ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) आर. के. जैन ने अपने संबोधन में कहा कि कला और सिनेमा से जुड़े व्यक्तित्व अपने कार्य को साधना के रूप में करते हैं। यह कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए नई विधाओं से परिचित होने का उत्कृष्ट माध्यम है।
श्री चेतन पंडित ने अपने उद्द्बोधन में कला और रंगमंच से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुओं के आशीर्वाद को दिया।

अग्निपथ,आरक्षण,लोकनायक, पोरस तथा पुनर्विवाह जैसी कृतियों से जुड़े प्रसंगों को बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि क्रोध हमारी सृजनात्मक क्षमताओं को नष्ट करता है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि जीवन में जो भी कार्य करें, पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करें तथा छोटे-छोटे परिवर्तनों को आत्मसात कर जीवन को समृद्ध बनाएं।
उन्होंने पुस्तकों को जीवन का श्रेष्ठ साथी बताते हुए कहा कि उचित समय-प्रबंधन से विभिन्न पुस्तकों से ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। श्री पंडित ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के अनुभवों एवं अपने गुरुओं के संस्मरण भी साझा किए।

        कार्यशाला के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। जिसमें उन्होंने बताया  कि कैसे उन्होंने लोकनायक फ़िल्म में जयप्रकाश नारायण जी की जीवनी पर आधारित चरित्र को निभाया। इस भूमिका के लिए उन्होंने उनकी आत्मकथाओं, पुस्तकों और जीवन-वृत्तांत का गहन अध्ययन किया तथा उनके विचारों और व्यक्तित्व को आत्मसात कर मंच पर सजीव रूप में प्रस्तुत किया।

इसी प्रकार शेर-ए-पंजाब  में अभिनय करते हुए धारावाहिक के पात्र के चरित्र का गहन अध्ययन किया और उसे पूर्ण रूप से आत्मसात किया। उन्होंने कहा कि किसी भी ऐतिहासिक या वास्तविक चरित्र को निभाने के लिए अभिनेता को केवल अभिनय ही नहीं, बल्कि उस चरित्र के पूरे जीवन-दर्शन और सोच को आत्मसात करना पड़ता है।

उन्होंने देवास एवं मालवांचल में एक कला केंद्र की स्थापना की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। इस पर संस्थान के निदेशक ने कहा कि संस्थान इस स्वप्न को साकार करने में हरसंभव सहयोग करेगा।
कार्यक्रम में श्री सुशील जौहरी एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहन वर्मा ने भी अपने विचार रखे। श्री वर्मा ने देवास में रंगमंचीय आयोजनों को और बढ़ावा देने का आग्रह किया। अंत में डॉ. अशुतोष व्यास ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला का संचालन भाग्यश्री सेंधव एवं प्रियल करंदीकर ने किया तथा इसकी जानकारी निकिता अग्रवाल द्वारा प्रदान की गई।

 

 

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